कांग्रेस की सीनियर नेता सोनिया गांधी ने राज्यसभा में बोलते हुए देश में जल्द से जल्द जनगणना कराए जाने की मांग की है। साथ ही सोनिया गांधी ने कहा कि ये इतिहास में पहली बार है जब जनगणना में 4 साल से अधिक की देरी हुई है।
कांग्रेस की सीनियर नेता सोनिया गांधी ने राज्यसभा में बोलते हुए देश में जल्द से जल्द जनगणना कराए जाने की मांग की है। साथ ही सोनिया गांधी ने कहा कि ये इतिहास में पहली बार है जब जनगणना में 4 साल से अधिक की देरी हुई है।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पार्टी संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को जल्द से जल्द जनगणना कराने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि देश में जल्द से जल्द जनगणना इसलिए कराई जाए ताकि सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गारंटीकृत लाभ मिल सके। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य सुरक्षा विशेषाधिकार नहीं बल्कि नागरिकों का एक मौलिक अधिकार है।
सोनिया गांधी ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार द्वारा पेश किया गया, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम एक ऐतिहासिक पहल थी। इसका उद्देश्य 140 करोड़ आबादी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना था। उन्होंने कहा कि इस कानून ने लाखों कमजोर परिवारों को भुखमरी से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर कोविड 19 महामारी के संकट के दौरान तथा साथ ही इसी अधिनियम ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को आधार प्रदान किया है।
राज्यसभा में बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 75 प्रतिशत ग्रामीणों के साथ ही 50 प्रतिशत शहरी आबादी सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने की हकदार है। उन्होंने कहा कि हालांकि लाभार्थियों के लिए कोटा अब भी 2011 की जनगणना के आधार पर निर्धारित किया जाता है, जो अब एक दशक से अधिक पुरानी है।
उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार जनगणना में 4 साल से अधिक की देरी हुई है। मूल रूप से यह 2021 के लिए निर्धारित थी लेकिन अब भी इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि जनगणना कब आयोजित की जाएगी।’ सोनिया गांधी ने कहा कि बजट आवंटन से पता चला है कि जनगणना इस साल भी आयोजित किए जाने की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘इस प्रकार लगभग 14 करोड़ पात्र भारतीयों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत उनके उचित लाभों से वंचित किया जा रहा है। यह जरूरी है कि सरकार जल्द से जल्द जनगणना पूरा करने को प्राथमिकता दे और यह सुनिश्चित करे कि सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गारंटीकृत लाभ प्राप्त हों।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं है, एक मौलिक अधिकार है। (भाषा के इनपुट के साथ)
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