*घटना करीब 10 साल पहले 9 जुलाई 2015 को घटित हुआ था,तब तत्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट के न्यायाधीश श्री अनीस दुबे साहब के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार करके कुसमुंडा थाना भेजा गया था,जहां सीतामढ़ी निवासी मुकेश यादव ने पहुंच कर खुद को न्यायालय का कर्मचारी बताकर ज्ञापन पुलिस कर्मियों को सौपा था,जिसमें थाने में जुआ एक्ट के मामलों में जप्त नकद राशि को न्यायालय में जमा करने का आदेश था, जिसे न्यायालय मुख्य न्यायधीश महोदय के कोर्ट में मौजूद मुकेश यादव ने रकम कब्जे में लेकर फर्जी पावती प्रदाय किया था ,बाद में मामले का खुलासा हुआ तो कोतवाली कोरबा में केस दर्ज कर विवेचना में लिया गया जिसमें मुकेश यादव के साथ कोर्ट के क्रिमिनल लीडर मनोज देवांगन की संलिप्तता का पता चला जिसके आधार पर पुलिस ने मामले में आरोपी कोर्ट रीडर मनोज तिवारी को गिरफतार किया था जबकि मामले में अन्य आरोपी मुकेश यादव तब से फरार है मामले की सुनवाई न्यायालय श्रीमान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री सत्यानंद प्रसाद साहब के न्यायालय में चल रही थी ,मामले में अभियोजन की ओर से प्रमाणित साक्ष्य प्रस्तुत किए जाने के बाद मामले के आरोपी मनोज देवांगन के खिलाफ दोष सिद्धि हो गया जिसके आधार पर न्यायाधीश ने आरोपी के खिलाफ सभी धाराओं में तीन-तीन साल की सजा सुनाई है।*
*कोर्ट के रीडर को हुई सजा, कानून किसी का संबंधी नहीं होता*

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